Thursday 30 November 2017

जिन्दगी के सफर को, मैं कितना आसाँ समझती थी

जिन्दगी के सफर को, मैं कितना आसाँ समझती थी
पर जिन्दगी के सफर को तय कर पाना बड़ा ही मुश्किल है
कुछ लोग मिलते हैं, तो कुछ लोग बिछड़ते हैं
कुछ लोग शहद से ज्यादा मीठे होते हैं,
तो कुछ लोग नीम से भी ज्यादा कड़वे होते हैं
कुछ लोगों के दिल कोमल होते हैं,
तो कुछ लोगो के दिल कठोर होते हैं
कुछ लोग अच्छे होते है, तो कुछ लोग बुरे होते हैं
पर जिन्दगी में हर इन्सान से मिलना बहुत जरुरी है
अगर सब जिन्दगी में अच्छा-ही-अच्छा हो तो
अच्छे और बुरे का फर्क कैसे? मालूम हो
और सब कुछ बुरा-ही-बुरा हो तो
अच्छे की कीमत कैसे? पता चले
वाकई यहाँ सब कुछ झेलते हुए ही चलना
यही जिन्दगी का सब से बड़ा तजुर्बा है
इसी को कहते हैं जिन्दगी, जीना इसी का नाम है


शीरीं मंसूरी “तस्कीन” 

Wednesday 29 November 2017

चन्दा अपनी चाँदनी से कह दो

चन्दा अपनी चाँदनी से कह दो चली जाये यहाँ से
अब मुझे ये काली रातें ही अच्छी लगतीं हैं
चाँदनी रात अब मुझे बैरी विरहन सी लगती है
चाँदनी रात में मेरे दिल के ज़ख्म भी दिखाई पड़ते हैं
काली रातों से मैंने दोस्ती जो कर ली
अब वही मुझे शीतल और निर्मल लगती है
चन्दा तुम्हारी ये चंदनियां बड़ा सताती है
अपनी रौशनी से मेरे ह्रदय को बड़ा जलती है
चन्दा अपनी चाँदनी से कह दो चली जाये यहाँ से


शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Tuesday 28 November 2017

प्रिय, तुम्हारे जन्मदिवस पर,

प्रिय,
तुम्हारे जन्मदिवस पर,मैं तुम्हें दें न सकी कुछ भी
किसे ने तुम्हें कमल दिया,किसी ने तुम्हें रोज़(गुलाब)
पर मैं तुम्हारे लिए अल्लाह से दुआ मांगती हूँ हर
रोज़
मुझे मिले खार(कांटे),तुम्हें मिले गुलशन
करती हूँ ऊपर वाले से दुआ ये हर रोज
मुझे मिले गम , तुम्हें मिले ख़ुशी
ये कहती हूँ ऊपर वाले से हर रोज
मिले तो मुझे कई लोग पर तुम्हारे जैसा न मिला कोई और
दुआएँ तो की है हर किसी के लिए
पर तुम्हारे लिए दुआ है कुछ और
ऊपर वाले ने तुम में गढ़ी हैं यूँ खूबियाँ
सारी अच्छाइयाँ को भर कर तुम्हारे अन्दर उन्हें कैद कर दिया है
पहचान है तुम्हारी सबसे अच्छे हो तुम इस जहाँ में
मिले चमन भरी जिन्दगी तुम्हें यूँ उम्र भर
जियो हज़ारों साल तुम यही दुआ करती हूँ मैं हर रोज
आये कभी न आँसू तुम्हारी प्यारी आँखों में ऐ मेरे दोस्त
फूलों से महके तुम्हारी जिन्दगी हँसते रहो तुम यूँ ही हर रोज
चमको तुम ऐसे जैसे चमकता है ध्रुव तारा
दिल से दुआ है मेरी यूँ मुस्कुराओ तुम यूँ ही हर रोज

शीरीं "तस्कीन"

अल्लाह पाक़ भी खूब है

अल्लाह पाक़ भी खूब है धूप की इतनी तपिश में अपने बन्दों का क्या खूब इम्तिहान ले रहे हैं देख रहे हैं कि कौन उनका सच्चा बन्दा है

शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Monday 27 November 2017

रमज़ान का पाक़ महीना

रमज़ान का पाक़ महीना लूट लो सवाब जितना लूटना है पता नहीं ऐसा पाक महीना फिर मिले न मिले

शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Sunday 26 November 2017

ऐ मुसलमान

ऐ मुसलमान रमजान के ऐसे पाक़ महीने में तो गुनाहों से तौबा कर ले

शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Saturday 25 November 2017

रमज़ान में करते हो गुनाह

रमज़ान में करते हो गुनाह और बड़े फख्र से कहते हो की हम मुसलमान हैं

शीरीं मंसूरी “तस्कीन”

Friday 24 November 2017

गम तो दिए तुमने मुझे इतने

गम तो दिए तुमने मुझे इतने
कि मैं बयाँ नहीं कर सकती
पर तुहारी एक मुस्कराहट पे
तुम्हारे उन हज़ार दिए हुए ग़मों को
भुलाया है हमने कई दफा

- शीरीं मंसूरी " तस्कीन "

Thursday 23 November 2017

कहने को तो बहुत कुछ है

कहने को तो बहुत कुछ है, पर कहना नहीं है तुमसे अब
अब तुम कहो अलविदा और हम कहें अलविदा


- शीरीं मंसूरी "तस्कीन"

Wednesday 22 November 2017

तारीफ करना तो दूर की बात

तारीफ करना तो दूर की बात
लोग तो उल्टा तोहमत लगाने लगे
 


-शीरीं मंसूरी "तस्कीन"