Monday 22 May 2017

थक गयीं ये अखियाँ

थक गयीं ये अखियाँ तेरा पंथ निहारते निहारते
कुछ नमी थी मेरी आँखों में अब वो जम गई है
थक गयीं ये अखियाँ तेरा पंथ निहारते निहारते

तेरे साथ बिताया हुआ वो लम्हा कोई लौटा दे
उसके बदले मेरी सबसे अनमोल चीज ले ले

थक गयीं ये अखियाँ तेरा पंथ निहारते निहारते



शीरीं मंसूरी 'तस्कीन'

No comments:

Post a Comment